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Jallianwala Bagh Massacre : जरा याद करो कुर्बानी, जब डायर की सनक ने भीषण नरसंहार को दिया था अंजाम

RNE, SPECIAL .

106 साल पूर्व इतिहास में आज की तारीख यानी 13 अप्रैल को एक क्रूर तारीख के रूप में दर्ज किया था। 13 अप्रैल 1919 का वो वीभत्स मंजर जिसमें हजारों निहत्थे भारतीयों को अंग्रेजी बर्बरता ने मौत के घाट उतारा था ।

मेला, धरना, 1650 राउंड फायरिंग :

हर वर्ष की तरह बैशाखी के दिन लोग खुशियां मानने के लिए मेले में शरीक होने पहुंचे तथा उस समय के काले कानून रॉलेक्ट एक्ट का शांतिपूर्वक विरोध भी कर रहे थे तभी ब्रिटिश सैनिकों की एक टुकड़ी वहां पहुंची और ब्रिगेडियर रेजीनॉल्ड डायर के कहने पर निहत्थी जनता मात्र 10 मिनट में 1650 राउंड फायरिंग कर दी।

जलियांवाला बाग ने ओढ़ ली लाशों की चादर :

 

ब्रिगेडियर रेजीनॉल्ड डायर के आदेश पर अंग्रेजी सैनिकों ने बिना किसी चेतावनी के अंधाधुंध फायरिंग में लगभग 1000 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे लेकिन आधिकारिक रूप से मृतकों की संख्या मात्र 379 ही बताई गई।

विश्वव्यापी निंदा , हंटर की लीपापोती :

इस जघन्य हत्याकांड की विश्वव्यापी निंदा होने के कारण अंग्रेजों को मजबूरन विलियम हंटर की अध्यक्षता में कमीशन का गठन किया गया जिसने जांच के नाम सिर्फ लीपापोती करते हुए भारतीयों के विरोध को कम आंका और डायर के कार्यों को उचित ठहराया ।